Wednesday, May 12, 2021

मंजिल



तू राह बनकर मुसाफिर सा साथ देना, गर अकेला भी चला तो कोई शिकवा न होगा। 

मंजिल भी मेरे पास होगी, मुसाफिर भी साथ होगा। 

हर गम को तेरे बाँट लूंगा, क्योंकि बिन तेरे अब गुजारा न होगा। 

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