KUDESHIA THE KING
Thursday, August 1, 2019
मिलन
तू पतंग मैं हूँ तेरी डोर, तू बहता पानी मैं हूँ छोर |
मंडराती तितली जैसे फूल पर, बनाते हुए निशान हम धूल पर |
मेरे हाथों की लकीरो में, तू करती अठखेलियां |
जिंदगी के पथ पे चलेंगे हम साथ साथ, हाथों में डाले हाथ, सब बंधनो को छोड़ ||
इन्तजार
इन्तजार
इश्क़ का खंजर कुछ यूं निकाला उसने,
कि हम क़त्ल भी हुए और एक आह भी न आयी |
चले थे हम साथ इस दरिया में उंगलियों में उंगलिया पिरोये,
होश आया तो खुद को पाया आँखें भिगोये |
वो थे अब ओझल, जिंदगी के नए सफर पे कुछ नए सपने संजोये,
लिख हाथ पे मेरे अलविदा और कर मुझे मुझसे जुदा |
उसकी मौजूदगी का अहसास, है आज भी मुझमे कहीं ,
ढूंढ़ती आँखे उन्हें और जैसे मानो कोई आहट आयी |
Tuesday, July 23, 2019
ehsaas
दर्द देता है तेरा एहसास तेरे जाने के बाद,
जैसे रूठ बैठी हो जिंदगी एक ज़माने के बाद |
जब हो तू सामने तो गुरुर रहता है,
पर जाने क्या खो जाता है तेरे जाने के बाद |
समझ से परे है ये समय की धारा मेरे,
इन्तजार जिसका है वो रहता है हर सांस में मेरे |
तन्हाई का आलम अब इस क़द्र है ,
जैसे कस्तूरी को ढूंढता कोई मृग है |
बेखयाली के मंजर में तेरा ख्याल अब ऐसे है,
पैरो के नीचे बस कुछ ही बची जमीन जैसे है |
हर कदम पे ये जिंदगी के हूँ में यूँ अब साथ तेरे ,
कि साथ पाओगे मेरी परछाई भी मेरे जाने के बाद |
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Lets face A True Life
KUDESHIA ~ The King
Pantnagar, Uttarakhand, India
A single human body, but having lots of stuff to unfold.
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