Thursday, August 1, 2019

मिलन


तू पतंग मैं  हूँ तेरी डोर, तू बहता पानी मैं हूँ छोर | 
मंडराती तितली जैसे फूल पर, बनाते हुए निशान हम धूल पर | 

मेरे हाथों की लकीरो में, तू  करती  अठखेलियां | 
जिंदगी के पथ पे चलेंगे हम साथ साथ, हाथों में डाले हाथ, सब बंधनो को छोड़ || 

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