इश्क़ नादान है, अंजाम की फिक्र कहाँ करता है,
ये तो अश्क़ है, जो दर्दो को बयांन करते हैं ।
अब किस हक़ से तुझे रोकूं, सोच के टूट जाता हूँ,
चाँद तो आज भी एक ही है, बस देखा दो झरोखों से जाता है ।
मेरे हालात पूछने की यूँ तो जरुरत क्या है,
जब तेरी धड़कनो की रिहाइश, मेरे सीने में हैं ।
जियें है जो हर पल साथ हमने, वो अब बंट नहीं सकते,
इन पलकों से ये बादल अब छँट नहीं सकते।
तुझे छूने का अधिकार, तो खो चुका हूँ मैं,
खुद से जिक्र करने की इजाज़त भी न छीनो मुझसे।
अब तेरी यादों से ही जीने का सहारा है अता है मुझको,
फर्क मरने और पल पल मरने का पता है अब मुझको ।
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